ईद के दिन भरी दोपहर में मैंने ग्रुप के एक सदस्य और ग्रुप के माध्यम से ही मेरे मित्र बने राशिद खान जी को ईद मुबारक देने फोन लगाया। जब उन्होंने फोन उठाया तब वो घर पर परिवार के साथ ईद नहीं मनाते हुए , 44 डिग्री तापमान में लू की परवाह नहीं करते हुए कलियासोत के जंगल देखने गए हुए थे। उन्होंने मुझे बताया कि उनके पास खबर अाई है कि कलियासोत के जंगलों में भू माफिया एक बार फिर सक्रिय होकर कटाई कर रहा है।
आज सुबह मैंने उन्हें वापस पूछा तो जो उन्होंने बताया मैं सन्न रह गया, लॉक डाउन की आड़ में 2500 - 3000 पेड़ काट दिए गए और वन विभाग चुप बैठा है।
राशिद भाई की रिपोर्ट आप भी पढ़िए और देखिए कैसे हमारे पर्यावरण को चंद पैसे के लालच में नुकसान पहुंचाया जा रहा है
कलियासोत में 3 हजार पेडों की बली दी, बाघ भी संकट में हैं, मौके पर अधिकारियों की भी आँख फटी की फटी रह गई
कुछ दिन पहले एक सूचना पर में कलियासोत के जंगलों (चंदनपुरा के आगे) में गया तो पाया कि यहाँ करीब 500 पेड़ों काटे गए। शिकायत भी की। हर बार की तरह वन विभाग ने राजस्व विभाग की जमीन का हवाला देकर अपने हाथ खड़े कर दिए। जब आज जिला प्रशासन ने जंगल का मौका मुआयना किया तो पाया जहाँ जंगल को साफ करने की पूरी प्लानिग से काम किया गया। अनुमान से ज्यादा करीब 3 हजार पेड़ों को काटा गया। वह भी ऐसे की किसी को भनक तक न लगे। 10-20 पेड़ों को छोड़कर कटाई की गई। यह वही स्थान है जहाँ बाघों की दहाड़ अकसर सुनाई देती है।
जंगल घोषित न हो इनका षड़यंत्र
यह कटाई भी एक षड़तंत्र का हिस्सा है दोस्तो। आपको याद होगा कि चार माह पहले NGT ने आदेश दिया था। कहा था शहरी क्षेत्र के सभी जंगलो की मैपिंग की जाए। इस मैपिंग के आधार पर ही इन्हें संरक्षित वन का दर्जा मिल सकता था। अलग-अलग जगह हुई कटाई से इन्हें वन परिक्षेत्र की परिभाषा से बाहर करने की साजिश रची और जंगल व भू माफियाओं ने इन हजारोँ पेड़ों की हत्या कर दी। कल चीचली बैरागढ़ के जंगलों में मुरम निकलने बड़े क्षेत्रो के पहाड़ को मैदान बना दिया गया।
मेरा 7 सवाल
1 कैसे बचेगा जंगल जब ऐसी अनदेखी हो रही है
2 बड़े बड़े रसूखदारों की जमीनें इसी जंगल मे हैं
3 बाघों के साथ अन्य वन्य प्राणियों का क्या होगा
4 महीनों बाद भी वन विभाग ने NGT के निर्देश पर जंगलों की मैपिंग शुरू क्यों नहीं की
5 निगरानी का दावा करने वाले अधिकारी जब कहा थे जब 3 हजार पेड़ों को काट दिया गया
6 इतनी लकड़ियों और मुरम को कहां ले जाया गया
7 शिकायतों पर भी कार्रवाई क्यों नहीं कि गई
ऐसा ही रहा तो न जंगल बचेगा, न बाघ, न अन्य कोई जानवर। यह जंगलों का नहीं हमारे भविष्य का सवाल है...जो आज खतरे में है..
जागो भाइयों जागो, यहाँ सब जिम्मेदार सो रहे हैं